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२६ जनवरी २०११… आज से ठीक इकसठ साल पहले आज के ही दिन हमरा सविंधान लागू हुआ था और इसी लिए हम आज के दिन को गणतंत्र दिवस के रूप मे मनाते है, आज मेरे ऑफिस की छुट्टी थी, और इसी कारण मे कल देर रात तक दोस्तों के साथ मस्ती कर रह था क्यूंकि आज सुबह मुझे जल्दी उठकर ऑफिस नहीं जाना था. आज जब मेने अपनी आँखे खोली तो देखा की मेरी घडी 12 बजकर १० मिनट का समय दिखा रही थी. दिमाग में ख्याल आया की थोड़ी देर और सो लिया जाय, की तभी एक दोस्त में पुकारा, “भाई चाय बन गई है आकर पी लो”। सोचा चलो चाय तो पी ही ली जाय, वरना फिर खुद ही बनानी पड़ेगी । तो ये सोच कर हमने अपना बिस्तर त्यागा और चाय की तलाश में रसोई की तरफ कदम बढाया।
चाय भी पी ली, फ्रेश वगारहय भी हो लिए , न्यूज़पेपर भी पढ़ लिया , और थोरी देर टीवी भी देख लिया, फिर दिमाग में ख्याल आया की भाई अब क्या किया जाय, तभी अपने बालो की तरफ ध्यान गया और सोचा की चलो भाई बड़े दिन हो गए इन बालो पर कैंची चले हुए, और आज तो टाइम भी है , क्यों ना इन बालो की भी कंटाई-छंटाई करवा ली जाय। यही सोच कर हमने अपने घर के पास वाली एक नाई की दूकान की तरफ प्रस्थान किया।
नाई की दूकान पर पहुंचे तो पाया की चारो कुर्सियों पर लोग बठे थे और तो ३-४ लोग दूकान के बाहर भी अपने नंबर के इंतज़ार में टहल रहे थे । ऐसा लग रह था जैसे आज सारी दुनिया ही बाल कटाने आ गई हो। एक बार तो दिमाग में ख्याल आया की भाई चलते है फिर किसी दिन बाल कटा लेंगे पर फिर सोचा की भाई वेला ही तो है तो थोडा इंतज़ार ही कर ले, यही सोच कर हम बगल में पड़ी एक खली कुर्सी पर बैठ गए और बगल में रखे अखबार को पड़ने लगे.
अभी अखबार में इंटेरेस्ट लेना शुरू किया ही था की तभी देखा की मेरे बगल में बैठे दो बूढ़े अंकल आपस में २६ जनुअरी पर कुछ बाते कर रहे थे । एक अंकल बोले शर्मा जी आज कल की तो बात ही रहने दो आज कल के बच्चों की तो बात ही मत ही मत करो उन्हें तो ये भी नहीं पता होगा की रेपुब्लीक डे का मतलब क्या होता है और क्यूँ मनाते है इसे। तभी दुसरे अंकल मतलब शर्मा जी बोले, सही कह रहे हो रस्तोगी जी, अब मेरे पोते को ही ले को, सुबह ११ बजे तक सो रह था, और जब उठा, तो ऍम टीवी लगा कर बेठ गया.। एक हमारा टाइम था, रेपुब्लीक डे के दिन सुबह उठ कर स्कूल की परेड में जाते थे और फिर प्रिंसिपल के साथ स्कूल के मैदान में झंडा फहराते थे और कितने प्रोग्राम करते थे और आजकल देखो ना तो teachers को कुछ इंटेरेस्ट है और न ही बच्चो को। क्या होगा इस देश का.
अरे शर्मा जी सच कहूं तो इस टीवी और आज कल की फिल्मो ने ही बिगड़कर रख दिया है आज कल के बच्चो को. मारधाड़, गालियों और फुहड़पन के अलावा कुछ नहीं होता है आजकल की फिल्मो में और इन्ही सब फिल्मो को देख कर तो आजकल के बच्चे बिगड़ रहे है। आज कल की ड्रेस की तो बात ही मत करो में, छोटे छोटे कपड़ो में लडकियां नाचती रहती है, समझ नहीं आता की कपडे तन ढंकने को पहने है या दिखने को और अश्लीलता की तो कोई सीमा ही नहीं रही है आज कल की फिल्मो में, पुरे समाज को बिगाड़ कर रख दिया है.
फिर तपाक से शर्मा जी बोले, सही कह रहे हो रस्तोगी जी, फिल्मो ने तो इस देश का बेडा गर्क कर दिया है, आजकल के बच्चे यही सब देखते है और यही सब करते है. और बची कुची कसर इस क्रिकेट ने निकाल केर रख दी है, अब ये खेल नहीं पैसे कमाने का धंधा बन गया है एक हमारा वक़्त था, जब कम क्रिकेट होता था, खिलाडी दिल से खेलते थे और हम लोग भी कितनी लगन और दिलो जान से देखते थे, आजकल तो खिलाडी भी पैसे के लिए खेलते है और लोग भी मौज मस्ती में देखते है, वो प्यार और लगन तो जैसे गायब हो गई है इस खेल से.पूरा देश बर्बादी की तरफ जा रहा है, कुछ नहीं होने वाला इस देश का, इसका तो भगवान् ही मालिक है….
अभी तक तो में चुप चाप उन दोनों अंकल की बाते सुन रहा था, पर जब उन्होंने क्रिकेट के बारे ने इतना कुछ बोला तो मुझसे रहा नहीं गया,
आखिर वो ऐसा कैसे कह सकते है की हमे क्रिकेट से प्यार नहीं करते..दो मिनट तो मैंने सोचा पर जब मुझसे रहा नहीं गया तो में उन अंकल से बोला, माफ़ करना अंकल जी, ये सच है की कुछ कमियाँ है आज की युवा पीढ़ी में या यु कहूँ की हमारे सोचने का तरीका शायद अलग है, पर इसका मतलब ये नहीं की हम सब कुछ बुरा ही कर रहे है, या ये देख बर्बादी की तरफ जा रहा है और इस देश का कुछ होने वाला नहीं, हमारा देश पहले भी तरक्की कर रहा था और आज भी प्रगति के पथ पर ही चल रहा है.
ये सच हो सकता है की आजकल की फिल्मी में कुछ कमियाँ हो पर आज भी हमारी फिल्मो में बुराई को हारते हुए और अच्छाई हो जीतते हुए ही दिखाया जाता है. आजकल भी हमारे यहाँ “मुन्नाभाई” और “रंग दे बसंती” जैसी फिल्मे बनती है जिसमे महात्मा गाँधी, भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु और चन्द्र शेखर की कहाँनी सुनाई जाती है, कहने का अंदाज भले ही बदला हो अंकल पर मेसेज तो आज भी वही होता है की बुराई, भ्रष्टाचार और जाती-पांति जैसी बुराइयों से ऊपर उठ कर हमें इस देश को प्रग्रती के पथ पर ले जाना है. आज की युवा पीढ़ी भी ‘चक दे’ और ‘तारे जमीन पर’ जैसी मूवी पसंद करती है जिसमे देश प्रेम और मातापिता के प्रति प्रेम दिखाया जाता है.
ये सच है की आज कल की फिल्मो में लड़के लडकियां कुछ उट-पटांग कपडे पहन लेते है और कुछ भी दिखाया जाता है, पर आज भी हमारे यहाँ दिवाली और ईद पर लडकियां साड़ी या सलवार कमीज ही पहनती है और लड़के लडकियां अपने बडो के पैर छुकर उनका आशीर्वाद लेते है, और उससे भी ज्यादा जरूरी बात ये है की आज भी हम अपने बडो का उतना ही सम्मान करते है जितना की आप लोग करते थे,
और जहाँ तक क्रिकेट की बात है, उसमे तो आप लोग बिलकुल ही गलत है, क्यूंकि क्रिकेट में चाहे कितना ही पैसा क्यों न आ जाय , और कितना ही ग्लेमर क्यों न हो जाय, हम क्रिकेट से उतना ही प्यार आज भी करते है जितना १९८३ में करते थे, या शायद उससे भी कहीं ज्यादा, हम अपने पास होने से भी ज्यादा चिंता इस बात की करते है की भारत वर्ल्ड कप जीतेगा की नहीं. देश का हर नौजवान अपनी गर्लफ्रेंड की इतनी बाते नहीं करता होगा जितना की भारत के वर्ल्ड कप जितने की करता है. हर कोई बस यही चाहता है की भारत वर्ल्ड कप जीत कर आये और हम वर्ल्ड कप चैम्पियन कहलाये. और देशो में लोग क्रिकेट पसंद करते है पर भारत के नौजवान इससे प्यार करते है और इसके लिए कितनी भी धन दौलत और ग्लेमर को छोड़ने की लिए तेयार है ..
और हाँ अंकल जी ये तो बहुत ही चंद बाते है जो मैंने आपको बताई है, ऐसी और भी बहुत सी बाते है जो इस बात को प्रूफ केर देंगी, की आज का नौजवान अपने देश से, अपने मातापिता से और अपनी संस्कृति से बहुत प्यार करता है, ये बात और है की उसका कहने का अंदाज भले ही जुदा हो पर दिल में जज्बात वही है जो भगत सिंह और चन्द्र शेखर के दिलो में थे. हम जताते भले ही न हो, पर सच ये है की अगर आज देश पर अगर कोई मुसीबत आ जाए तो देश का नौजवान सबसे आगे खड़ा मिलेगा देश की रक्षा के लिए..
माना की कुछ कमियाँ है इस युवा पीड़ी में और कभी -२ गलतियां भी करते है, पर इसका मतलब ये तो नहीं की आप लोग उन्हें समझाने के बजाय बुरा भला कहने लेगे. अगर कुछ गलत है तो आपको उन्हें समझाना चाहिए सही मार्ग पर लाना चाहिए ताकि वो देश के विकास में योगदान दे सके, न की “कुछ नहीं होने वाला इस देश का, इसका तो भगवान ही मालिक है….” ऐसे बाते करनी चाहिए. अंकल जी भगवान् भी उन्ही की मदद करते है जो खुद की मदद करते है. इसलिए आप लोगो को ही इस देश के नौजवानों की कमियों और बुराइयों को दूर करना होगा ताकि हम नौजवान लोग इस देश की तरक्की और प्रगति के पथ पर ले जा सके..
मेरी ये सब बाते सुन कर दो मिनट तो वो अंकल मौन रहे फिर गुस्से से मेरी तरफ देखा और उठ कर वहां से चले गए, एक बार को तो मुझे भी लगा की कहीं मैं कुछ ज्यादा तो नहीं बोल गया. सच कहूँ तो पता नहीं क्या क्या बोल गया मैं, पर शायद दिल की कुछ बाते जो काफी टाइम से दिल में दबी थी बाहर आ गई. दुखी हो गया था मैं ये सुन सुन कर की आज की युवा पीढ़ी बिलकुल बेकार उससे कुछ नहीं होता.. और ये देश बर्बादी की तरफ जा रहा है.. आज की युवा पीढ़ी भी देश भक्त है और आज भी देश भक्ति पर फिल्मे बनाती और देखती है. आज भी हम अपने माता पिता से प्यार करते है और उनका सम्मान करते है. और आज भी हमारा दिल क्रिकेट के लिए उतनी ही तेज धड़कता है जितना की पहले धड़कता था..
साज भले ही बदले हो, पर अंदाज वही है यारों..
भेष भले भी बदले हो , पर देशप्रेम वही है यारों,
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