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सभी कहते है, और बहुत सी फिल्मो में भी सुना है की “प्यार किया नहीं जाता ये तो बस हो जाता है” , में भी कुछ ऐसा ही मानता हूँ और में ये भी मानता हूँ जैसे भगवान् को ढूंढा नहीं जा सकता वैसे ही प्यार को भी ढूंढा नहीं जा सकता, ये तो बस मिल जाता है…
बिन मांगे मोती मिले , मांगे मिले न भीक…
ये पंक्ति प्यार पर भी एकदम सही बैठती है की मांगने से कभी प्यार नहीं मिलता और न ही प्यार को लिया या दिया जा सकता है क्यूंकि….
प्यार का तो नाम प्यार है, और प्यार का तो काम प्यार है, प्यार को तो सभी से प्यार है… (मेरी पिछली रचना की एक पंक्ति है..)
बचपन से हम सभी प्यार के लिए लैला- मजनू, हीर-रांझा और सोनी-महिवाल के अफसाने सुनते आ रहे है और कहीं भी अगर अटूट प्यार और त्याग की बात की जाती है तो इन्ही का नाम सबसे पहले लिया जाता है,
पर मै आज आपको कुछ लोगो के प्यार की कहानी बताने जा रह हूँ.. जो शायद इतने मशहूर तो नहीं जितने की लैला-मजनू , हीर-रांझा और सोनी- महिवाल के प्यार के अफ़साने है पर मेरी नजर में इनका प्यार इन सब से कम भी नहीं…
ऐसे ही शाम को एक दिन में अपने ऑफिस से घर आ रहा था, जगह उत्तरप्रदेश के नॉएडा शहर की थी और समय शाम के ७ बजे का था. में अपनी मोटरसाइकिल पर जा रहा था, हलकी हलकी बूंदा-बंदी हो रही थी और तेज बर्रिश आने की आशंका थी इसी लिए मै मोटरसाइकिल कुछ तेज चला रह था, पर कुछ दूर ही चला था की तेज बारिश होने लगी, इसलिए मै एक पेड़ के नीचे खड़ा हो गया और बर्रिश के कम होने का इन्तजार करने लगा, तभी मैंने देखा सड़क के उस तरफ एक आदमी एक रेड़ा लिए चला जा रहा था, उसमे पीछे एक औरत बैठी थी अपने दो बच्चो के साथ. चारो जन अपनी ही मस्ती मे, दीन-दुनिया से बेखबर उस रेडे पर चले जा रहे थे, चारो लोग बारिश में पूरी तरह से भीगे हुए थे पर फिर भी बड़ी मस्ती में चले जा रहे थे. तभी बड़ा लड़का जो करीब ७-८ साल का होगा, रेडे पर खड़ा होकर उछल -कूद करने लगा, बाकि सब भी उसकी मस्ती मे मजे कर रहे थे, तभी कूदते- कूदते उसकी एक चप्पल नीचे पानी मे गिर गई, और वो कूद कर चप्पल लेने भागा, उसे ऐसा करते देख बाकी तीनो जोर जोर से हंसने लगे. वो लड़का अपनी चप्पल उठा कर लाया और फिर से नाचने लगा, वो रेडे वाला धीरे-२ रेडे को चला रहा था और बार बार पीछे मुड कर अपने परिवार की मस्ती को देख रह था. धीरे-२ कुछ पलो मे वो “रेडे वाला परिवार” मेरी आँखों से ओझल हो गया, मेरी आँखे दूर तक उन्ही को देखती रही, और कुछ देर बाद मुझे ध्यान आया की बारिश रुक चुकी है और मुझे भी घर जाना है,
आज भी जब कभी तेज बारिश होती है तो मुझे वो “रेडे वाला परिवार” याद आ जाता है, कहने को तो उसके पास कुछ भी नहीं था, पर फिर भी सब कुछ था. उन्हें देख कर ऐसा लग रह था जैसे वो बारिश के पानी में नहीं बल्कि एक दुसरे के प्यार में भीग रहे हो. उन्हें देख कर लगा की प्यार किसी धन दौलत का मौताज नहीं है और जो प्यार और ख़ुशी मैंने उस परिवार मे देखी, वो शायद कोई करोड़पति अपने परिवार को “मर्सडीज” मे बैठा कर भी हासिल नहीं कर सकता, अद्भुद और निराला था वो प्यार. में हमेशा भगवान् से यही दुआ करता हुईं की भगवान् काश मेरा प्यार भी ऐसा हो…..
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